Saturday, October 17, 2009

बडा खुशनसीब लगता ये साल है

बडा खुशनसीब लगता ये साल है


मै ऐसा क्यूं हूं , अच्छा सवाल है
हर जवाब एक नया ही बवाल है

हाल-ए-दिल बताया नही जाता
हसती आंखों मे छुपा मलाल है

दिन और रात, वोही मेरे साथ है
आते हुए सवरे का वो खयाल है

तुम्हारे लिए हसती ये कलम है
पढके तुम्हारा मुस्कुराना कमाल है

आखों मे सुखा पडा है इस बार
बडा खुशनसीब लगता ये साल ह

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